हमारी कामवाली बाई, राधा, एक ज़िम्मेदार महिला है. हमेशा समय से आती है. यदि कभी देर हो जाए, तो पहले ही सूचित करती है. कभी बिना सूचना के छुट्टी नहीं करती. सबसे बड़ी बात, उसके पिता की मृत्यु के दिन भी उसने सुबह फ़ोन करके बताया कि वह कुछ दिन नहीं आ पाएगी.
काम के प्रति इतनी ईमानदारी और समय की पाबंदी तो मैंने उन उपकुलपतियों में भी नहीं देखी जिनके साथ मैंने काम किया है. कुछ एक को छोड़ दिया जाए, तो कोई अधिकारी न समय से कोई बैठक शुरु करता था, न ख़त्म करता था. बेतरतीब एजेंडा, दिशाहीन चर्चा, और बहुत सारी गपशप ही इन बैठकों की विशेषताएँ हुआ करती थीं. कई अधिकारी तो एक ग्रुप के साथ 1-2 बैठक रख लेते थे, और दूसरे के साथ 2-3. पहली मीटिंग शुरू होती थी 1:30 पर, 2:45 तक रेंगती रहती थी. इस बीच 2 बजे वाली बैठक के लोग कार्यालय में बाहर इंतज़ार करते होते थे. कुछ अपनी कक्षाएँ छोड़कर आए होते थे. न बैठक होती थी, न कक्षाएँ. बस सब कुछ अस्त-व्यस्त चलता रहता था.
आमतौर पर साफ़-सफ़ाई करने वालों को हम यथोचित सम्मान नहीं देते क्योंकि हम उनके व्यवसाय से उनके व्यक्तित्व का मूल्यांकन करते हैं. लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि राधा जैसे सफ़ाई कर्मचारी कुछ उपकुलपतियों से भी ज़्यादा समझदार और प्रेरणादायक होते हैं?